क्या संतोष जी को शास्त्रीय सोलह संस्कार कंठस्थ होते तो नैतिकता के संतोष जी प्रस्तावित मानदंड स्वीकार कर लिए जाते? शास्त्रीय सोलह संस्कार से ही नैतिक जीवन-मूल्यों प्रमाणीत किए जाएंगे? इन सोलह संस्कार ही संस्कृति नहीं है।
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क्या संतोष जी को शास्त्रीय सोलह संस्कार कंठस्थ होते तो नैतिकता के संतोष जी प्रस्तावित मानदंड स्वीकार कर लिए जाते? शास्त्रीय सोलह संस्कार से ही नैतिक जीवन-मूल्यों प्रमाणीत किए जाएंगे? इन सोलह संस्कार ही संस्कृति नहीं है।
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पूर्व में योजना आयोग द्वारा प्रस्तावित मानदंड के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में छब्बीस रुपए तक की दैनिक आय और शहरी क्षेत्र में बत्तीस रुपए तक की दैनिक आय वाले को ही गरीबी रेखा के नीचे माना गया, जबकि उतने में मुश्किल से एक जून के खाने का जुगाड़ किया जा सकता है।